Thursday, February 23, 2012

भूल गए

From the archives (June 2011) ....


कुछ लम्हे हमने याद रखे कुछ लम्हे भुलाने भूल गए
कैसे कह दें हम अपनी बरबादी के ज़माने भूल गए

कुछ अपने ग़म की दवा करने हम पास गए थे मसीहा के
दिल पर जो सबसे गहरे थे वो ज़ख्म दिखाने भूल गए

मिलता नहीं अब हमको भी कुछ उनसे कहने के लिए
और वो भी हमसे मिलने के सारे बहाने भूल गए

यादों के बीहड़ से आगे दूर बहुत निकल गए वो
जज़्बे खो आये रस्ते में रिश्ते पुराने भूल गए  

No comments: